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कौन है?-

पानी छिड़कते ही उसकी आँखें खुल गई। वह एक छोटे से कमरे में मौजूद था। ट्यूबलाइट की रोशनी सीधी उसकी आँखों में पड़ रही थी। एक दो पल के लिए वह उसके ऊपर मंडराने वाले उन लोगों को पहचानने की कोशिश कर रहा था जो उसे बेहोश देखकर घबराए हुए थे। सबको बारी-बारी से घूरने के बाद उसने अपनी दोनों हथेलियों से चेहरा ढक लिया। "छोड़ो मुझे, जाने दो। मत मारो मुझे, मैं तुम्हारे रास्ते में नहीं आऊंगा। प्लीज मुझे छोड़ दो।" इंस्पेक्टर ठकराल सबको अपने पास से ऐसे भगा रहा था जैसे वो लोग उसका गला दबा रहे न हो।" "सर मैं हूँ! घबराइए मत----- आप बिल्कुल सलामत है।" आरव गहरी गहरी साँसे ले रहे ठकराल सर को देखता रहा। शायद उन्हें भारी सदमा लग था। "मुझे छूना मत--- प्लीज छूना मत। मुझसे दूर रहो तुम। मैं मरना नहीं चाहता। मुझे घर जाने दो।" बदहवास सा ठकराल एक साथ बोले जा रहा था। "चलो कुछ देर के लिए सब बाहर चलते हैं।" आरव ने मोहन के साथ उस घर के सभी सदस्यों से यह बात कही जिस घर में वह ठकराल को लेकर आया था। हुआ यूँ था कि----- ठकराल के साथ जो घटना घटी थी उसकी पूरी डिटेल वह निर्मोही को बता चुका था। निर्मोही ने सब कुछ सुनने के बाद आरव को जल्द से जल्द घर चले जाने की सूचना दी थी। और आरव निर्मोही की बात मानकर चुपचाप पैदल घर चलने लगा। चलते चलते उसकी नजरों के सामने कुछ देर पहले देखे हुए सभी मंजर एक के बाद एक उभरने लगे थे। उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? वही सोचकर आरव परेशान हो उठा था। मार्गरेटा के लिए वह कुछ नहीं कर पाया था। सब कुछ उसके सामने हुआ। इसलिए उसका मन अपराध भाव के बोझ तले दब गया था। चलते-चलते आरव उस वीरान रास्ते को पार कर चुका था। उसका घर कुछ ही दूरी पर था कि एक बात ने उसके दिमाग को हिलाकर रख दिया। अपने साथ घटी सारी घटनाओं का जिक्र उसने निर्मोही के साथ किया है। निर्मोही मार्गरेटा को बचाने के लिए खुद तो वहाँ नहीं पहुँच जाएगी न? यही सोचकर आरव घबरा गया। घर जाकर सोने का विचार तुरंत ही कैंसिल करके आधे रास्ते से वह वापस मुड़ गया। मुझे एक बार वहाँ देख लेना चाहिए। निर्मोही मार्गरेटा को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है। आरव अच्छी तरह जानता था। अगर निर्मोही ने यह सारी बातें इंस्पेक्टर ठकराल से कहीं होगी तो वह दिमाग का सनकी आदमी सब कुछ छोड़ कर फार्म हाउस तक पहुँच जाएगा। मारिया का केस उसके ही हाथों में है तो मुझे लगता है इंस्पेक्टर विकराल को भी चौकन्ना रहना चाहिए। ऐसे हालात में बेवक्त उठाया गया कोई भी कदम उनके लिए भी मुसीबत खड़ी कर सकता है। फार्महाउस तक इंस्पेक्टर ठकराल पहुँच गया और उनके साथ कोई हादसा हुआ तो हार हमारी ही होगी। क्योंकि हमें अभी बहुत कुछ पता लगाना बाकी है।' यही सोचता हुआ आरव जिस रास्ते से आया था उसी राह पर वापस मुड़ गया।  रात के तकरीबन 2:00 बज रहे थे। निशाचर जीवो की तरह-तरह की आवाजें और किसी भी तरह की आहट उसका हौसला नहीं तोड़ सकती थी। दूर-दूर से आती हुई भेंडियो की आवाज रात के इस भयावह सन्नाटे को चीरते हुए आरव के कान में सीधी उतर रही थी। हालाँकि आरव के मजबूत इरादे में कोई फर्क आने वाला नहीं था। किसी तूफान की तरह भागता हुआ आरव उस मनहूस फार्म हाउस तक पहुँच गया। फार्म हाउस के एंट्री गेट के सामने बुलेट पड़ा था। और बुलेट की बगल में अपनी बाइक को देखकर उसे सुखद आश्चर्य हुआ। जब मैं यहाँ से गया तब मेरा बाइक लेकर बैहरूपिया भाग गया था। तो फिर इसे यहाँ कौन लाया? या फिर ठकराल सर ने बहरूपिया को दबोच लिया होगा? जो भी हो पता लगाना पड़ेगा। लेकिन एक बात तो है--- मुझे अपनी समझ पर गर्व है। 'कितना सटीक सोचा था मैंने? निर्मोही मेरी बात सुनने के बाद मार्गरेटा को बचाने के लिए कोई न कोई ठोस कदम जरूर उठाएगी। उसने मेरी कॉल के बाद तुरंत ही इंस्पेक्टर ठकराल को इस पूरे वाकये से अवगत कराया होगा। और यह साला सनकी इंस्पेक्टर 'ना आव देखता है ना ताव'---- ना दिन देखता है ना रात। अपने केस के सुलझाने के लिए वह कभी भी कहीं भी पहुँच जाता है। मगर गया कहाँ? उसका बुलेट पड़ा है मतलब वह आस-पास ही कहीं है। सोचता हुआ आरव बुलेट की ओर आगे बढ़ा। अभी चार कदम ही चल पाया था कि कोई भारी ठोकर की वजह से वह गिरते-गिरते बचा। आरव के पूरे बदन में झुर्झुरी दौड़ गई। उसने तुरंत ही अपना मोबाइल निकाला और टॉर्च जलाई। टोर्च की रोशनी आरव ने उस भारी चीज पर डाली जिसे अभी अभी वो टकराया था।  औंधे मुंह पडे इंस्पेक्टर ठकराल को देखकर आरव का दिल धक् से रह गया। 'ठकराल सर की ऐसी हालत किसने की होगी? कहीं शैतानी रूह..., वह सोचते सोचते रुक गया। उसके दिमाग को एक ओर ख्याल ने हिलाकर रख दिया। कहीं ऐसा तो नहीं की इंस्पेक्टर ठकराल को शैतानी रूह ने धोखे से यहाँ बुलाया हो? अनगिनत सवाल आरव के दिमाग में कुलबुलाने लगे थे। आरव ठकराल के पास नीचे बैठ गया।  "ठकराल सर..." उसने ऊंची आवाज में पुकारा। उठ जाईए ठकराल सर? यह जगह ठीक नही है, उठ जाइये।" आरव ठकराल का कंधा पकड़ कर झिंझोड रहा था। लेकिन ठकराल सर जरा भी हिलडुल नही रहे थे। काफी देर तक इंस्पेक्टर ठकराल को वह होश में लाने की जद्दोजहद करता रहा। थक-हार कर फिर उसने इंस्पेक्टर ठकराल के दोनों कंधे पकड़े और पूरी ताकत लगाकर उन्हें पलटने की कोशिश की। और इस बार वह अपनी कोशिश में कामयाब हो गया। पलट कर सीधे हो चुके इंस्पेक्टर ठकराल का हुलिया देखकर आरव स्प्रिंग की मानिंद उछल कर खडा हो गया। उसका हृदय जोर जोर से उछल ने लगा था। बीजली का भारी झटका लगा हो ऐसे वह हतप्रभ हो चुका था। क्योंकि उसके सामने नजारा ही कुछ ऐसा था। इस्पेक्टर ठकराल का चेहरा पूरी तरह जल चुका था। चमड़ी और गोश्त जलने के बाद अब काली खोपड़ी में आँखें नाक और मुंह की जगह काले गड्ढे दिखाई दे रहे थे। जैसे किसी ने उनके चेहरे पर ढेर सारा तेजाब उलट दिया हो। कितना भयानक नजारा था। आरव के हाथ पैर काँपने लगे। वह दो कदम पीछे हट गया। उसे यकीन नही हो रहा था कि ठकराल सर अब नही रहे।  बदहवास सा वह अपनी बाइक की ओर भागा फिर  बाइक पर वह सवार हो गया।

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1 Comments

Gunjan Kamal

27-Sep-2023 09:01 AM

👏👌

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